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Saturday, August 12, 2017

हसरते




हसरते आज कल खफा खफा सी रहती है
केहती है कि मै उनका खयाल नही रखता,
मैं सोचता हूं, अगर ऐसा होता तो फिर,
वो कौन है जिनसे मैं अक्सर गुफ़्तगू करता हू..!

फिर जब मैं उनसे ये पूछता हूं ,
तो केहती है ,कि वो सिने मैं बंदी पडी है कबसे,
उनको खुले आसमान कि आस है,
अब उनको ये कैसे समझावू के इसी हसरत से उन हसरतो को जिंदा रखा है......


आनंद
12 ऑगस्ट 2017