हसरते आज कल खफा खफा सी रहती है
केहती है कि मै उनका खयाल नही रखता,
मैं सोचता हूं, अगर ऐसा होता तो फिर,
वो कौन है जिनसे मैं अक्सर गुफ़्तगू करता हू..!
केहती है कि मै उनका खयाल नही रखता,
मैं सोचता हूं, अगर ऐसा होता तो फिर,
वो कौन है जिनसे मैं अक्सर गुफ़्तगू करता हू..!
फिर जब मैं उनसे ये पूछता हूं ,
तो केहती है ,कि वो सिने मैं बंदी पडी है कबसे,
उनको खुले आसमान कि आस है,
अब उनको ये कैसे समझावू के इसी हसरत से उन हसरतो को जिंदा रखा है......
तो केहती है ,कि वो सिने मैं बंदी पडी है कबसे,
उनको खुले आसमान कि आस है,
अब उनको ये कैसे समझावू के इसी हसरत से उन हसरतो को जिंदा रखा है......
आनंद
12 ऑगस्ट 2017
12 ऑगस्ट 2017