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Thursday, February 15, 2018

आसमान




आसमान कभी अकेला नही होता,
पर फिर भी बहुत बैचैन रहता है आजकल..!


कभी जब धरती उसके नजरो के सामने से छुप जाती है,
 तो पानी की बुंदे हवाओ के साथ मिलकर आ जाती है उसका साथ देने, 
 कुछ चंद घडी गुजारती है..!


कभी जब धरती बहुत पास आ जाती है ,
तो पहाडो पे उतरके आसमान गुफ्तगु कर लेता है...!


कभी अंधेरी रात मैं चांद उजाला हो जाता है,
 तो आसमान पढ लेता है वो नज्म जो कभी लिखी थी..!


कभी पंछी उड़ते हुये मुस्कुराते है,
और सिखा जाते है नया तराना जो फिर बन जाता है साथी...!


कभी शाम को सूरज पुकारता है,
 और फिर समुन्दर की लहरों मैं उतर जाता है आसमान बेफ़िक्र होके....!


इतना सब इल्म जो मिलता रहता है ,आसमान को तो,
 फिर कौन कहेगा कि बेचारा अकेला है..!
फिर भी परछाई ढूंढता रहता है अक्सर ,
 शायद उसको अपने होने का यकीन अब तक नही है .....!


                                                                                                                15 फेब्रुवारी 2018